कहते हैं इंसान वही जिसमें इंसानियत जिंदा हो.... लेकिन कभी कभी ये इंसानियत हमें सोचने पर मजबूर कर देतीं हैं की क्या हमने सही किया....!! कल किसी काम से बेटी के साथ आरटीओ कार्यालय गयीं थीं...। बेटी अठारह वर्ष की हो गयीं थीं तो उसका लाइसेंस बनवाना था.... कल उसका लर्निंग टेस्ट था...। चूंकि बेटी को टेस्ट देना था इसलिए मैं कार्यालय के बाहर ही उसका इंतजार करने लगी...। मेरे अलावा वहां ओर भी बहुत से लोग थे जो अपने किसी ना किसी परिचित के साथ वहां आए थें.....। कुछ देर बाद ही वहां एक बेहद व्रद्ध महिला आई जो