शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 22

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"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -२२)कई बार हालात भी अजीब होते हैंलेकिन विश्वास के बिना कोई चारा नहीं हैकिसी का भला करने के लिए सहमति देनी पड़ती हैयही एक भावुक व्यक्ति का लक्षण हैएक परोपकारी आत्मा का मन दुखी हो सकता हैलेकिन दूसरों को तकलीफ़ में नहीं देख सकता..शुभम को याद आता है कि मरीज युक्ति की चिठ्ठी उसके भाई को पहुंचाने गया था।रवि जो युक्ति का भाई है उससे युक्ति के बारे में पूछता है।अब आगे....रवि:-"देखो डॉक्टर साहब, मेरी हालत के बारे में युक्ति को कुछ भी नहीं बताना है।और जो मैं आपको बताने जा रहा