मोन मेढक

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चलो यहां आओ मेरे प्यारे मेंढक, आके बैठो मेरे पलंग के नीचे आख़िर आज क्यों छुपे हुए हो अलमारी के पीछे ? क्या कोई चोर है तुम्हारे मन में या कोई बड़ी उलझन आन पड़ी है तुम्हारे जीवन में !कुछ अनमने उदास से जान परते हो, रौशनी में जाकर अपनी लंबी जीभ से लपककर कीड़े क्यों नही खा आते?तुम अब भी मौन हो। कहीं तुम्हारी उदासी के पीछे उस मेंढकी का हाथ तो नहीं जो कल छोड़ गई थी तुम्हें किसी और के लिए? ना जानें उसे क्या दिखा उनमें जो तुम्हारे में नही, मुझे तो तुम सब एक से