अंधेरे का बंदी

रात का सन्नाटा गहरा और भयानक था। हवा में अजीब सी ठंडक थी, जो हड्डियों तक सिहरन पैदा कर रही थी। आरव अकेले अपने पुराने पुश्तैनी मकान में रात बिता रहा था, जो उसके दादा के जमाने से वीरान पड़ा था। गाँव वालों के अनुसार, इस घर में कुछ अनहोनी जरूर थी—कुछ ऐसा, जो आँखों से नजर नहीं आता, पर महसूस किया जा सकता है।आरव ने इन कहानियों को हमेशा अफवाह समझा, लेकिन इस रात उसका सामना कुछ ऐसा होने वाला था, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। घड़ी की सूइयाँ रात के 12 बजा रही थीं, और चारों