बेटी का पत्र - एक बेटी का त्याग और प्यार

रायपुर का रेल्वे स्टेशन,मैं रोज की तरफ अपने कॉलेज जाने के लिए एक लोकल का टिकट लेकर बैठी ट्रेन का इंतेजार कर रही थी, और ये मेरे रोज का रूटीन था कि मैं थोड़े देर पहले जाकर ही टिकट लेकर कम से कम 10-15 मिनट तो बैठती थी ताकि मुझे थोड़ा पढ़ने का टाइम मिल जाये,वही रोज मेरे इस इंतेजार में मेरा कोई और भी साथी होता था एक 25 - 26 साल की लड़की,वो अक्सर मुझे स्टेशन पर उसी टाइम पर मिलती थी और जब भी मैं कुछ पढ़ती थी तो वो मेरे साथ मेरे बुक को बहोत ध्यान