खामोश चाहतें

तीन साल हो गए हैं, पर दिल आज भी उसी पल में अटका हुआ है जब पहली बार उनसे मुलाकात हुई थी। ये मुलाकात भी ऐसे जैसे किसी फ़िल्मी कहानी का हिस्सा हो। एक आम से दिन में, मैं अपने कुछ ज़रूरी काम से अस्पताल गई थी, और वहीं मेरी नज़र उन पर पड़ गई। शायद उनका ध्यान उनके काम में था, पर मेरा पूरा ध्यान उन पर ही टिक गया था। ताज्जुब की बात ये थी कि बस एक पल के लिए ही सही, लेकिन कुछ तो अलग था उनमें जो मुझे उनकी तरफ खींच लाया।मैं वहीं उन्हें देखती