तकरार एक दिन, आदित्य ने स्नेहा से गंभीरता से कहा, "क्या हम इसे खत्म कर दें? यह सब कुछ सही नहीं है।" स्नेहा की आँखों में आंसू आ गए। "लेकिन मैं आपको चाहती हूँ," उसने कहा, उसकी आवाज़ हलकी थी। "क्या हमें अपने दिल की सुननी चाहिए? क्या यह इतना आसान है कि हम एक-दूसरे को छोड़ दें?" आदित्य ने उसे देखा, और उसके मन में द्वंद्व उभरने लगा। वह स्नेहा को खोना नहीं चाहता था, लेकिन उसे अपनी ज़िम्मेदारियों का भी ख्याल था। "मैं समझता हूँ, लेकिन यह सब कुछ इतना जटिल है। मेरा परिवार है, मेरी पत्नी है।