वो जो अपना सा लगे

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रुशाली अपनी खिड़की के पास बैठी थी, बाहर हल्की बारिश हो रही थी, और आसमान पर बादल घुमड़ रहे थे। उसके मन में एक अजीब सी खामोशी थी, जो बारिश की उस हल्की-हल्की खनक के साथ और गहरी होती जा रही थी। दिल के कोने में छुपा एक सपना था—सपनों का शहजादा, जो कभी रुशाली के ख्वाबों में तो कभी उसके खयालों में आता-जाता रहता था। उसे अक्सर लगता था, क्या कभी ऐसा कोई होगा जो उसे समझ सके, जो बिना बोले ही उसके दिल की बात जान ले? रुशाली एक ऐसे इंसान की तलाश में थी, जो जिंदगी के