गुलमोहर की छांव में

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तपती दोपहर में बस स्टैंड के सामने से अल्हड़ लड़कियों का झूंड गुजरा... किसी के हाथ में बस्ता किसी के हाथ में किताब, किसी के हाथ में केवल कॉपी तो किसी के बिल्कुल खाली..हाथ...एकदम बादशाही अंदाज...... "एकदम से धमाचौकड़ी करतीं हुुुईं ... लड़कियों का झूंड" ऐसा लग रहा था कि अब पूरी दूनिया उनकी मुट्ठी में हो.. बस सबकी एक ही ख्ववाहिश थी.. गुलमोहर की तरह यादगार बनना है.. जैसे किसी तस्वीर में या कैलेंडर में गुलमोहर खूबसूरत याद तरोताजा करा देता है.. खुशी के मारे पागल होतीं लड़कियों का झूंड, उछलकूद कर ही रहा था कि इतने में बस स्टैंड