"प्यार कहां किसी का पूरा होता है प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है..."आज से पांच साल पहले मैं इस तरह की ट्रक-छाप शायरी से कितना चिढ़ती थी। पर आज....मैंने डायरी बंद की। चुपके से दो आंसू लुढ़ककर तकिए में समा गए।मैं मीरा देसाई, हमेशा, हर जगह, हर फील्ड में, हर हाल में टॉपर हूं। जीतना, अव्वल आना मेरी फ़ितरत है। कभी किसी से हारना सीखा ही नहीं।घर में मुझे कॉम्पिटिशन देने वाला कोई था ही नहीं। इकलौती औलाद जो हूं। कहने को एक कज़िन है, इरा। लेकिन उससे कभी बनी नहीं।इरा अनाथ होने के बावजूद दबी-कुचली बेचारी