सुरासुर - 2

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"क्या मैं मर गया पर मुझे तो कोई दर्द महसूस नहीं हुआ मैं जिंदा भी हूँ कि नहीं मफ्फ इतना समय क्यों लग रहा है"? दाईं पलक खोलने पर वह आश्चर्यचकित रह गया क्योंकि अब उसके सामने लार टपकाने वाले असुर के बजाय वही खामोश सड़क थी। "क्या बड़बड़ा रहे हो चिंता मत करो तुम अब सुरक्षित हो" बाईं ओर से एक आवाज़ आई उस ओर मुड़ने पर सफेद शर्ट और काले जीन्स में एक व्यक्ति उसे अपनी ओर आते दिखा। लुटेरों की तरह एक आँख में पट्टा लगाए युवक कर्ण के पास आतें हीं मुस्कुराकर अपना हाथ आगे बढ़ाता है-"तुम्हारा नाम"?"क..क.. कर्ण"