बैरी पिया.... - 49

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अब तक :पहले से ही चोटिल लड़कों की दर्द भरी चींखें निकलने लगी । शिविका बेतहाशा उन लोगों को मारने लगी । एक एक पल में बसे दर्द का हिसाब आज उसे लेना था ।वो हर एक दर्द भरी सांस जो उन लोगों ने उस दहशत भरे माहौल में ली थी उन सब का बदला आज इन लड़कों को दर्द भरी सांसों से लेना था ।कमरे में खड़े गार्ड्स शिविका को उन लड़को को मारते हुए देखते रहे ।संयम भी दरवाजे पर खड़ा शिविका का रूद्र रूप देखे जा रहा था । भले ही उस पर शिविका जैसा दर्द बीता