बैरी पिया.... - 44

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अब तक : शिविका सोच ही रही थी कि इतने में एक जोर दार धमाके की गूंज उसे सुनाई दी । उसके नीचे की जमीन हिलने लगी । शिविका जल्दी से नीचे बैठ गई और कानों पर हाथ रख दिया । अब आगे : कुछ सेकेंड्स बाद उसे लग रहा था मानो उसके कान में कोई धुन बज रही हो.. । जो धमाके से उसके कान में होने लगी थी । शिविका ने दरवाजे को देखा और फिर खोलकर अंदर जाने लगी । जैसे ही दरवाजा खोला तो अंदर से धुआं बाहर आने लगा । कमरे की दीवारें लाल थी..