मैं तो श्याम रंग रांची

गाँव के पालीवालों की वास में एक साथ उगे नीम और पीपल के पेड़ के चारों ओर एक बड़ा चौतरा बना हुआ था। नीम की छाया गहरी और पीपल की छाया छितराई हुई थी। गर्मियों की अलसाई दोपहर में किसान लोग चौतरे पर आकर बैठते, कुछ देर बातचीत करते फिर सिर के नीचे पोतिया रख सो जाते। ऊपर पेड़ की डालों पे बैठे पंछी कभी बीट कर देते तो कभी खाई हुई निम्बोलियां गिरा देते, नींद में खलल तो पडता लेकिन वे करवट ले के फिर सो जाते। चबूतरे के पूरब में साध्वी वैष्णवी की कच्ची मढैया बनी हुई थी।  कच्ची