कहानी हमारी - 3

वृष्टि का अचानक से मेरे साथ ऐसा व्यवहार नजाने उसको क्या हुआ कल रात जो तारों के नीचे एक अनजान केे साथ खुला आसमान देख रही थी वो आज मुझे ऐसा क्यू कह रही होगी भला मैं हिम्मत करके उसकी और बढ़ा वो कह रही थी देखो तुम दूर रहो मुझसे समझे,,,,मैं उसकी आँखों में देखते हुए उसका हाथ अपने हाथों में लेके मेरे सिने पर दिल के पास रखता हूँ वृष्टि जरा महसूस करो इस धड़कन कोदेखो मेरी तरफक्या अभी भी तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें नुक्सान पोहचाऊंगा वृष्टि खामोश हो गयी थी फिर ,,,,,,, कुछ वक्त बात (अगस्त्य)ठीक है मेरा यहां से