निगाहों से पीने में मना नहीं ज़ाम पर निषेध क्यूँ? अदाओं से पीने में मना नहीं ज़ाम पर निषेध क्यूँ? रफ़्ता रफ़्ता बहकता गया रस्म ए चमन आज फ़िर l फ़िज़ाओं से पीने में मना नहीं ज़ाम पर निषेध क्यूँ? खुली हवाओं में गेसुओं को झटका कर निकलती l बहारों से पीने में मना नहीं ज़ाम पर निषेध क्यूँ? गुमसुम हो गए है आज कल अल्फाज़ मिरे जाने क्यूँ? सदाओं से पीने में मना नहीं ज़ाम पर निषेध क्यूँ? बोलने के तरीक़े पर वारी गई है महफ़िल की दुनिया l गजलों से पीने में मना नहीं ज़ाम