स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे?

प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में मनुष्य के लिए जन्म से मृत्यु तक सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है। इनमें गर्भ संस्कार भी एक प्रमुख संस्कार माना गया है। चिकित्सा विज्ञान यह स्वीकार कर चुका है कि गर्भस्थ शिशु किसी चैतन्य जीव (Conscious entity) की तरह व्यवहार करता है तथा वह सुनता और ग्रहण भी करता है। माता के गर्भ में आने के बाद से गर्भस्थ शिशु को संस्कारित किया जा सकता है तथा दिव्य संतान (Divine Baby) की प्राप्ति की जा सकती है। गर्भ संस्कार यानी आधुनिक विज्ञान व परंपरागत संस्कृति, इन दोनों का समायोजन। गर्भस्थ शिशु