हीर रांझा - 4

  • 1.3k
  • 489

दिन में तीसरे पहर जब सूरज पश्चिम दिशा में ढ़लने के लिए चल पड़ा, उस समय रांझा चेनाब नदी के किनारे खड़ा था। वहां कई और यात्री जमा थे जो नदी पार करवाने वाले मांझी लुड्डुन का इंतजार कर रहे थे।रांझा ने मांझी से कहा,' ऐ दोस्त, खुदा के लिए मुझे नदी पार करा दो।' लुड्डुन मांझी अपने तोंद पर हाथ फेरता हुआ हंसने लगा और उसका मजाक उड़ाते हुए बोला, 'खुदा का प्यार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता। हम तो पैसे के लिए नदी में नाव चलाते हैं।'रांझा उससे गुजारिश करते हुए बोला, 'मैं एक जरूरी यात्रा पर