प्रकरण - ५६वक्त कहां बीत जाता है, कुछ पता ही नहीं चलता। देखते ही देखते तो दिवाली का समय नजदीक आ रहा था। दिवाली अभी सात दिन दूर थी। दर्शिनी के कॉलेज में दिवाली की छुट्टियाँ थीं। इस आगामी दिवाली के लिए निषाद मेहता और मैंने मिलकर एक विशेष एल्बम लॉन्च किया, जिसके गानोंने पूरे गुजरात में खूब धूम मचाई। हम सभी अपने एल्बम की सफलता से बहुत खुश थे।रईश आज अहमदाबाद आ रहा था इसलिए हम सभी उनका स्वागत करने के लिए अहमदाबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचे। लेकिन ख़ुशी की बात ये थी कि उनका स्वागत करनेवाले हम