साथिया - 131

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दोनों पक्ष अपनी पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में हाजिर थे। आज फिर से अक्षत के साथ  सांझ आई थी पर साथ ही साथ  शालू  ईशान और  अबीर  भी आए थे ताकि सांझ  को सपोर्ट मिल सके और वह बेवजह ही परेशान ना हो।जज साहब की इजाजत के बाद दोनों पक्ष के वकीलों से सवाल जबाब का सिलसिला फिर से शुरू कर दिया। " तो सुरेंद्र जी..!! आप जोकि  कुछ महीने पहले  तक खुद उसी गाँव और उनकी मान्यताओ का हिस्सा हुआ करते थे। अचानक से आपका जमीर जाग उठा और आप उन सबके  खिलाफ खासकर अपने  बड़े भाई और भतीजे