साथिया - 123

मनु ने सांझ को ले जाकर अक्षत के कमरे में  बेड  पर बिठाया  और उसका  घूंघट नीचे कर दिया तो सांझ ने  मनु की तरफ देखा। "आंटी ने कहा है कि इसी तरीके से  बैठना  और जब अक्षत आएगा तब वही घूंघट  खोलेगा।" मनु बोली। " मां ने ऐसा कहा..??" सांझ बोली। मनु मुस्करा  दी।" अरे मैने कहा  है..!! इतना घबरा क्यों रही हो?"  मनु ने सांझ के चेहरे पर आते भाव देखकर  कहा  तो  सांझ ने  नजर झुका ली। मनु ने  उसका हाथ अपनी  हथेलियां में  थाम लिया  और हल्के से  थपका। " तुम और अक्षत तो  सालों  से एक दूसरे को जानते हो।