साथिया - 120

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" डोन्ट वारि सांझ  इतना नही करूँगा कि बर्दास्त न हो उनसे..!! पर  तुम भूल सकती हो और माफ कर सकती हो नेहा को पर मैं नही।"" बात माफ करने की या भूलने की नहीं है। मैं मानती हूं कि उनकी गलती है। पर मैं यह नहीं भूल सकती कि नेहा दीदी ने बचपन से लेकर अब तक हमेशा मेरा हर कदम पर साथ दिया था। उन्होंने मुझे हमेशा कहा कि मैं गाँव और चाचा चाची से कोई मतलब न रखूं। मै अपना सोचूँ अपने हिसाब  से करूँ। उन्होंने हमेशा कहा कि मैं ये न सोचूँ कि किसी  ने मुझ