साथिया - 102

  • 210
  • 66

"हमें कोई दिक्कत  कोई परेशानी नहीं है। आप जब का चाहे तब का मुहूर्त  निकलवा  लें। अब माही आपकी अमानत है और उसे आपके घर विदा करने में हमें कोई भी आपत्ति नहीं है।" अबीर  बोले। तभी अक्षत का ध्यान  माही  की तरफ गया जिसके चेहरे पर अजीब से भाव आ गए थे और वह वहां से उठकर बाहर गार्डन की तरफ निकल गई। सब लोग बातें करने में बिजी हो गए और अक्षत उठकर बाहर आया तो देखा कि माही  वही गार्डन में एक तरफ  खड़ी सामने लगे फाउंटेन को देख रही है। अक्षत उसके पास जाकर खड़ा हो गया। माही को