भारत की रचना / धारावाहिकग्यारहवां भाग फिर जैसे ही कॉलेज के घंटे ने वहां की खामोशी को भंग कर दिया, तो रचना ने शीघ्र ही अपनी पुस्तकें समेटीं और उन्हें बगल में दबाए हुए, वह शीघ्र ही कक्षा से बाहर निकलने को हुई, तो अचानक ही उसकी सहेली ज्योति ने उसे टोक दिया. ज्योति रचना को आश्चर्य से निहारते हुए बोली कि,'अरी ! कहाँ चल दी, इतनी जल्दी? सब कुशल तो है?'हां, ठीक है. मैं अभी आती हूँ.' रचना बगैर रुके हुए ही बोली, तो ज्योति को आश्चर्य हुआ. वह एक संशय के साथ, उससे भेद भरे ढंग से पूछ