एक दिन दर्शना ने देखा, उनके घर का सारा सामान ट्रक पर लोड हो रहा था। जाने से पहले आंटी मिलने आई थीं उसकी मां से। दोनों सखियां गले मिल कर सुबक सुबक कर रोई थीं। पन्त आंटी बेहद शर्मिंदा थीं कि वो अपना दिया वचन पूरा नहीं कर सकीं। वो दुखी थी कि दर्शना उनकी बहू नहीं बन सकी। किसी ने खुल कर तो नहीं कहा लेकिन स्पष्ट था कि ये रिश्ता अब टूट चुका है। आंटी की पहनाई अंगूठी दर्शना की उंगलियों में सजी रही और वो उसके माथे पर एक तप्त चुम्बन दे कर हमेशा के लिए