अब चलें,,,,, - भाग 1

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"तुमने कमल के पत्तों पर गिरी ओस देखी है कभी? अच्छी लगती है कितनी। है न?" नीलाभ ने पूछा।"नहीं, कभी देखी नहीं, क्योंकि वह गिरती भी है तो तुरंत फिसल जाती है। कमल के पत्तों पर कभी ठहरती नहीं हैं पानी की बूंदें। तुरंत फिसल जाती हैं उन पर से। जानती हूं, हर चीज क्षणभंगुर होती है, लेकिन कमल उन ओस की बूंदों को अपने ऊपर कुछ पल के लिए ठहरने से कभी नहीं रोकता। हर बात विश्वास और उम्मीद से जुड़ी होती है, इसलिए प्रकृति हो या नियति, उससे जुड़ी किसी भी बात पर फिलॉसफर बनने की जरूरत नहीं