मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 16

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लघुकथा क्रमांक -42उधार की चमक************सौरमंडल में अपने इर्दगिर्द घूम रहे ग्रहों की बात सुनकर धरती के कान खड़े हो गए। बात ही कुछ ऐसी थी।सभी नौ ग्रह अपनी अपनी चमक के बारे में डींगें हाँक रहे थे। शुक्र ने इतराते हुए कहा, "तुम लोग कुछ भी कह लो, लेकिन पूरे सौरमंडल में मेरे जैसा चमकदार कोई ग्रह नहीं।"दूर खड़ा प्लूटो अपनी सर्द आवाज में बोला, "साथियों, ये जो चमकता हुआ सूर्य तुम्हें नजर आ रहा है न, उसकी चमक के पीछे भी मेरा ही हाथ है। जब से मैंने अपनी चमक को नियंत्रित किया है लोगों को सूर्य की चमक