अब तक :श्वेता की कड़वाहट भरी बातें सुनकर माही चुप हो गई । उसका चेहरा उदासी से घिर गया ।अब आगे :अक्षत ने माही की उदासी देखी तो बोला " कोई ड्रेसिंग सेंस या हैसियत से बड़ा या छोटा नहीं होता है श्वेता । ये तो सोचने वाले की सोच पर निर्भर है । मानो तो पत्थर में भी भगवान हैं और न मानो तो वो मंदिर में भी नही हैं ।और रही बात माही की.. तो भले ही एक बार किसी गलत इंसान के साथ चली गई हो । लेकिन इससे तुम ये नही कह सकती कि इसे किसी