सन्यासी -- भाग - 25

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और वो उससे बोली...."क्या सोच रहा है रे! कहीं तुझे आँची की याद तो नहीं आ रही?"अपनी माँ नलिनी की बात सुनकर जयन्त मुस्कुराते हुए बोला..."भला! मुझे आँची की याद क्यों आने लगी?""क्योंकि वो बहुत ही भली लड़की है,उसने तेरी इतनी सेवा की है तो तुझे उसकी याद आना एक सामान्य सी बात है",नलिनी जयन्त से बोली...."ऐसी कोई बात नहीं है माँ! मैं तो कुछ और ही सोच रहा था",जयन्त नलिनी से बोला...."अगर आँची के बारें में नहीं सोच रहा था तो फिर क्या सोच रहा था",नलिनी ने जयन्त से पूछा...."माँ! अभी कुछ देर पहले हमारे दरवाजे पर एक महिला