ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म भी होता है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है , जो कदम ताल को बैठा गए तो एक नई राह चुनते है बस इसे पहली मुलाकात से लेके अंतिम ताल की कहानी बस वही सूखे पत्ते बस वही सूखे पत्तों की हरियाली से मुरझा जाने तक का सफर ही तो है ये जवानी सी एक अनोखी कहानीकितना सुहाना होता है न जब दो प्रेमी एक दूसरे को बस चुप चुप