फर्क पड़ता हैं

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  फर्क पड़ता हैं मुझे मुझे तेरी ख़ामोशी से फर्क पड़ता हैं ये बात कैसे बताऊं तुम्हे तेरी छोटी छोटी हरकतो से फर्क पड़ता हैं मुझे तेरी आँखों में जों सवालों क समुद्र देखती हूँ तब मुझे फर्क पड़ता हैं जब मेरी आँखों में आंसू देख कर भी तुम्हारा कोई सवाल नही होता तब फर्क पड़ता हैं मुझे जब अपनी खुशियाँ तुमसे बाटने को आती हुँ और तुम्हारा मुझे दुर्दरा देना, उससे मुझे फर्क पड़ता हैं जब किसी और को मुझसे ज्यादा एहमियत देते हो तब मुझे फर्क पड़ता हैँ एक मैसेज, या फ़ोन को तरश जाती हुँ मै सवाल करने पर, जब कहते हो busy था मै इस बात