मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 2

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जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।चंद्रा का कमरा ,वैशाली की बात सुन दोनो उसका मूंह ताकने लगती है ,तभी चंद्रा कहती है !चंद्रा "देखो विशु कुछ उल्टा तरीका है , तो उसे अपने पास ही रखो ,वैसे भी तुम्हारा दिमाग कुछ ज्यादा ही उल्टा चलता है ! "चंद्रा की बात पर तारा भी सहमति में अपना सर हिलाती है , जिसे देख कर वैशाली का तो मूंह ही बन जाता है , वैशाली थोड़ी देर तक उन दोनो का मूंह देखती है फिर एक दम से झल्ला कर कहती है ।वैशाली (झल्लाते हुए)