आत्मकथा अंश (4): गोमती , तुम बहती रहना !:आदर्श समाज बनाने का बिखरता सपना कवि और साहित्यकार “अज्ञेय” कहते हैं कि “वह क्या लक्ष्य जिसे पाकर फिर प्यास रह गई शेष बताने की, क्या पाया ? ” अर्थात आपकी जीवनोपलब्धि ऐसी होनी चाहिए कि जिसके बाद कुछ और पाने की अभिलाषा समाप्त हो जाए और आपकी उपलब्धि को लोग स्वयं महसूस करें न कि आप उसको दुनियाँ को बताते फिरें |उनकी यह बात सिद्धांतत: सही लगती है किन्तु व्यावहारिक स्तर पर ऐसा संभव नहीं। है | सफल और आदर्श व्यक्तित्व की उपलब्धि ही क्यों असफलता,कमजोरी भी तो सबके सामने आनी