.... मन का मीत. - 2

  • 2.4k
  • 740

......राधा .और नीरज .सामान्य से परिवार से तालुक रखते थे।नीरज की पढ़ाई अधूरी रह गई थी।पारिवारिक जिम्मेदारी उसपे बहुत जल्द आ पड़ी थी।महज पांचवीं कक्षा में होगा वह,तब उसके सर पे मा का साया हट गया था।जीवन में जिसकी माता खो जाती है।उसका कोई नहीं होता।वह अनंत ममत्व भाव को जानने से पहले ही उससे वह छूट गया।परिवार में औरत का महत्व ऐसा है,जैसे किसी अंधेरे कमरे में रोशनी।उसके बगैर जीवन अंधकार में डूब जाता है।जरा सी बीमारी ।जिसका इलाज भी चल रहा था मगर पूरा समाधान न हो पाया और ,नीरज ने अपनी माता को हमेशा के लिए खो