कुछ वक्त बाद त्रिवेणी अपने ससुराल आ चुकी थी। और बुआ जी ने उसका ग्रह प्रवेश कराया। इसी तरह से विवाह के बाद की सभी रस्मे भी पूरी हो गई। और फिर बुआ जी त्रिवेणी को लेकर अपने कमरे में आ गई।फिर उन्होंने कमरे का दरवाजा हल्का सा बंद करने के बाद पीछे मुड़ते हुए कहा कि "आज से इस घर की जिम्मेदारीयाँ तुम्हारी हुई। अब तुम्हें ही इस घर को और घर के लोगों को सम्भलना है। खासकर अखंड को" त्रिवेणी ने भी मुस्कुराते हुए कहा "हाँ जी बुआ जी अब से सब की जिम्मेदारी मेरी है। और मैं