49=== अचानक आशी टेबल से उठ खड़ी हुई| “पापा ! आज मैं कुछ देर में आऊँगी| आप लोग चलिए---”आशी ने दीनानाथ से कहा| “क्यों? ”अचानक ही उनके मुँह से निकल गया | “नहीं, कुछ खास नहीं , बस कुछ देर में आने का मन है| मैं अपने आप आ जाऊँगी| डोन्ट वरी फ़ॉर मी--”कहकर वह खट खट करती हुई सीढ़ियों से ऊपर चढ़ गई| अभी तक बेटी से बात करके दीना का पिता-मन जो गुब्बारे से फूला सा जा रहा था अचानक ही जैसे फिस्स सा हो गया जैसे किसी ने मन के गुब्बारे में सूई से छेद कर दिया