बड़ी माँ - भाग 9

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9 आचार्य दीवान चन्द जी ने स्नातकोतर की उपाधि प्राप्त कर ली थी। इसलिए उच्च कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाने का कुछ उत्तरदायित्व भी उन्हें सौंप दिया गया था। परन्तु जितना आनंद और संतोष उन्हें छोटी कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाने में आता था उतना शायद ही किसी दूसरे भले काम में आता हो। इसलिए उनकी प्राथमिकता सदैव यही रहती थी कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय छोटी कक्षाओं को पढ़ाने के लिए मिले। दूसरे वह बच्चों के साथ प्यार बाँट कर अपना गम भूलाना चाहते थे। वह बच्चों में मनुष्य का वह पवित्र स्वरूप देखते थे जिसमें सस्कारों का