शिविका ने पंडित जी को प्रणाम किया और गठबंधन का कपड़ा और अपना लहंगा उठाए लंगड़ाते हुए मंदिर से नीचे उतर गई । शिविका गाड़ी में आकर बैठ गई जिसमे संयम पहले से ही बैठा हुआ था । उसके चेहरे पर अब फिर से कोई भाव नहीं थे । शिविका का लहंगा बोहोत भारी और फैलाओ वाला था जिस वजह से वो गाड़ी में बोहोत जगह घेर रहा था । हालांकि गाड़ी काफी बड़ी थी लेकिन फिर भी शिविका उस लहंगे के साथ ढंग से नहीं बैठी थी । ड्राइवर ने गाड़ी को चला दिया । संयम के चेहरे के