सावरी जी अदिति को साड़ी देने के बाद वापस नीचे आती है , किचेन में जाने के बाद वही उलझ जाती है और दिमाग से निकल जाता है वो अपनी बहू को कुछ खाने को देने वाली थी । एक घंटे बाद याद आया ' हे भगवान मैं तो काम के चक्कर में बहू को खाने के लिए कुछ देना ही भूल गई , एक प्लेट में खाना गर्म करने के बाद पड़ोस ली किचेन से निकल कर सीढ़ियों के तरफ बढ़ती लेकिन उससे पहले अरुण मित्तल डाइनिंग टेबल के पास बैठते हुए कहा " आप मेरा खाना लगा दीजिए