सौतेली माँ से माँ बनने का सफर...... भाग - 4

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बुआ जी के फोन रखने के बाद इधर त्रिवेणी थोड़ी भावुक से हो गई थी आज सच में उसे मातृत्व का एहसास हुआ जब उसकी आवाज सुनने मात्र से ही अखंड का रोना बंद हो गया। त्रिवेणी बहुत खुश थी और इसी खुशी में उसने गोल-गोल घूमना शुरू कर दिया तभी अचानक ही वह किसी से टकरा गई ।जब वह हडबड़ाहट में जल्दी से पीछे हटी तो उसने देखा कि वह जिससे टकराई थी वह कोई और नहीं मामी जी ही थी। जो उसे अपनी अजीब नजरों से देख रही थी, फिर त्रिवेणी ने जल्दी से आगे बढ़ते हुए ही