यादों की अशर्फियाँ - 13. दीपिका मेम का रिजाइन

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13. दीपिका मेम का रिजाइन जय मच्छरा दादा, बोलो जय मच्छरा दादा डेंगू, मलेरिया कराने वाले, जय मच्छरा दादा बोलो मच्छरा दादा की…… जय। हम सब हंसकर बोल पड़ते। ध्रुवी के इस भजन की सब सराहना भी करते। ध्रुवी माही को मच्छर कहती थी और हम सब भी। ध्रुवी की इसी तरह सबको खुश रहने की और हसते रखने की कला पर हम सब फिदा थे। इसके साथ यह गम भी था की शायद अगले साल वह हमारे साथ नहीं पढ़ेंगी। कल प्रीलिम्स खत्म हो गई। 10th और 12th के स्टूडेंट्स पूरा दिन बाहर खुली हवा में बैठ कर कैम्पस