शून्य से शून्य तक - भाग 32

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32==== आज भी आशी अभी तक ‘लेज़ी मूड’ में थी | कभी-कभी उसे अचानक ही रोना आने लगता था और रोते-रोते उसकी आँखें भी बंद हो जातीं रोते-रोते आशी को एक झटका सा आया | माँ उसके आँसू पोंछ रही थी |  “मेरी इतनी प्यारी बेटी---!” “प्यारी---!”आशी बिफरी |  “प्यारी होती तो यूँ छोड़कर जातीं मुझे --? ” “जाना न जाना कहाँ अपने हाथ में होता है बेटा----”आशी के कानों में माँ की थकी, शिथिल सी आवाज़ न जाने कहाँ से आ रही थी ! आशी रोते-रोते इधर-उधर देखने लगी, शायद स्वप्न की सी स्थिति थी |  “जाना न जाना