बड़ी माँ - भाग 4

  • 1.9k
  • 831

4 रातभर मुरली को बेचैनी रही। उसे नींद नहीं आ रही थी। सारी रात उसके मन में यही उधेड़-बुन चलती रही कि इस लड़के का क्या किया जाए? यदि कहीं इसके घर वालों को पता चल गया तो ये हाथ से चला जाएगा। और दूसरी तरफ यह राम आसरी, जो मेरे सामने चूँ नहीं करती थी, आज मुझे आँखें दिखा रही है। सोचते-सोचते आधी रात बीत चुकी थी। मुरली उठकर बैठ गया। उसने अपने कमीज की जेब में से बीड़ी का बंडल और माचिस बाहर निकाले और फिर बीड़ी सुलगाकर उसे पीने लगा। बीड़ी खत्म होने से पहले ही उसने