शून्य से शून्य तक - भाग 24

24=== दीनानाथ सोचने लगे कि जब इतने लंबे अरसे बाद भी वे अपनी माँ की छुटपुट घटनाओं को याद करके भी परेशान हो जाते हैं तो आशी का अपनी माँ को खो देना और उसके लिए तड़पते रहना कुछ अजीब तो नहीं था| बचपन में माँ को खो देना कोई छोटा हादसा तो होता नहीं है | न जाने क्यों अचानक उन्हें आशी से हमदर्दी होने लगी | कुछ भी कहो आशी उनकी बिटिया थी|  आज न जाने कैसे अचानक आशी के मन में अपने पिता के प्रति भी कुछ हमदर्दी सी जागी| क्या ये कोई को-इन्सीडेंट था कि वह