शून्य से शून्य तक - भाग 19

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19 === एक लंबी–सी साँस ली उन्होंने | माधो को यह बहुत आश्चर्यजनक लग रहा था कि आशी इतनी जल्दी लॉन्ग ड्राइव से लौट आई थी| उसका तुरंत कमरे में पहुंचना भी सुखद आश्चर्य की बात थी| पिता के बुलाने पर तुरंत आकर भी पिता के कमरे में पूछना कि उसे बुलाया क्यों गया था, सबके लिए आश्चर्य ही था| दीना को लगा मानो गलती से चाँद उनके कमरे की गली में मुड़ आया हो| आशी बिलकुल अपनी माँ का प्रतिरूप थी| बिलकुल वैसा ही गुलाबी रंगत लिए हुए खूबसूरत, नाज़ुक नैन-नक्श, लंबा-छरहरा शरीर और सौम्य चेहरा जिसे आशी ने