शून्य से शून्य तक - भाग 16

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16==== आशी के घर से बाहर निकलते ही महाराज और उसके पास खड़े हुए दूसरे सेवक ने लंबी साँस ली और मानो निर्जीव पुतले हिल-डुलकर अपनी जीवंतता का प्रमाण देने लगे|  “बाप रे बाप ! ” सेवक ने महाराज की ओर देखकर कहा |  “क्या हुआ था ? ” माधो ने पूछा|  “अरे! कुछ होता है क्या? पता नहीं, हम लोग भी कैसे और क्यों पड़े हुए हैं इस घर में ! रोज़-रोज़ की जलालत—” महाराज बहुत सालों से इस परिवार के लोगों की भूख शांत करते आए थे, अब वो भी ऊबने लगे थे|  “कैसी बातें करते हो महाराज