शून्य से शून्य तक - भाग 15

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15=== आशी को जैसे आज भी वही सब दिखाई दे रहा था| अपने बीते समय के बारे में याद करना यानि पीछे के पृष्ठों को पलटकर एक बार फिर से उसी दृश्य का पात्र बन जाना| इस समय लिखते हुए फिर से समय जैसे सहमते पैरों से उसके साथ खिंच आया था— उसने लोगों से अपना हाथ छुड़ाकर भागने का प्रयत्न किया तो मिसेज़ सहगल ने झपटकर उसे पकड़ लिया पर वह उन्हें एक धक्का देकर आगे भाग गई| लोगों ने उसे रोकने का बहुत प्रयास किया पर वह किसी के भी बस में नहीं आ सकी| हारकर उसे उसकी