शून्य से शून्य तक - भाग 4

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4=== वैसे तो दीनानाथ के महल से घर में सेवकों की फौज की कोई कमी नहीं थी परंतु उनकी लाड़ली बेटी आशी बड़ी मुश्किल से किसी के बस में आ पाती थी | लाड़-प्यार की अधिकता के कारण आशी बड़ी होने के साथ-साथ ज़िद्दी होती जा रही थी | यहाँ तककि वह अपनी ज़िद में घर के सेवकों से दुर्व्यवहार कर जाती | माँ-बाप कितना समझाते, धीरे से डाँटते भी पर उसकी ज़िद घर भर को सिर पर उठा लेती | आखिर में आशी को पार्क में घुमाने के लिए भेजा जाता | वहाँ वह दूसरे बच्चों और माधो के