एक सप्ताह बाद "अरे सुमैया, देख मुसकान अभी तक जगी के नहीं, इतना वक्त हो गया है अभी तक उसकी एक आवाज़ नही सुनी, पता कर तो खान साहब की हिसाब की डायरी कहा रखी है उसने" (सुबह के दस बज गए हैं लेकिन मुस्कान अभी तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकली थी, अब्बू के कहने पर सुमैया मुस्कान के कमरे में जाती है ) सुमैया - "मुस्कान आपी, ओ मुसकान आपी....कब तक सोएंगी आप, अब्बू जान ढूंढ रहे हैं आपको, खान अंकल की डायरी कहा रखी हैं आपने" (मुस्कान बुखार से तप रही थी, सुमैया की आवाज सुन