बड़ी माँ - भाग 3

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3   अपनी आँखों के तारे को, जिसे वह एक पल भी अपनी नज़रों से दूर नहीं होने देती थी, खोकर कौशल्या पागलों की तरह व्यवहार करने लगी थी। उसने अपने सिर के बाल नोच-नोचकर अपना बहुत बुरा हाल कर लिया था। वह शुष्क नज़रों से इधर-उधर देखती और कभी नीचे बैठकर जमीन पर जोर-जोर से अपने हाथ मारने लगती, जिसके कारण उसके हाथों से खून निकलने लगा था। लाला दीवान चन्द जी बेबस थे। उधर जिगर का टुकड़ा चला गया था और इधर पत्नी का दुःख देखना उनके बस से बाहर हो चला था। थोड़़ी हिम्मत करके पत्नी को